भू-धर्म BHOO-DHARAM
अयं निजपरो वेति गणना लघुचेतसाम | उदाचरितानाम तु वसुधैव कुटुम्बकम|
यह मेरा ,यह तुम्हारा ,इस प्रकार के तुच्छ विचार ,सामान्य अर्थात संकीर्ण विचार धाराओं वाले के होते है,लेकिन उच्च सोच व वृहत विचार धाराओं वाले के लिए लिए समस्त विश्व एक परिवार के सामान है|
प्रकृति से मानव व सभी जीव पैदा होते है ,प्रकृति ही सभी जीवों का पालन करती है एवम अंतिम समय में सभी माँ प्रकृति की गोद में समां जाते है ,जो की प्रकृति का अटल सिद्धांत है एवम सभी जीवों पर लागू होता है | लेकिन वर्तमान समय में मानव अपने अहम की संतुष्टि व स्वार्थ के कारण , धर्म के नाम पर मनुष्य को मनुष्य का शत्रु बना दिया है, जिसके परिणाम स्वरूप एक ओर प्रेम ,शांति,करूणा,एकता व आपसी सामंजस्य में कमी आ रही है एवम दूसरी ओर मनुष्यों में मनुष्यों के प्रति ही घ्रणा व नफरत में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है |
मैने लगभग सभी धर्म ग्रंथो के अध्ययन का प्रयास किया एवम पाया की सभी धर्मो व मजहब में प्रेम, त्याग, सेवा, करुणा, सहायता, अंहिसा,एकता ,प्रकृति व प्रकृति की समस्त चीजों से प्रेम का ही महत्व बताया गया है। विश्व में एक भी धर्म या मजहब नहीं जिसमें अहं ,हिंसा ,फूट ,धोखा,छल , कपट, को महत्व दिया हो या करने की बात को महत्व दिया हो लेकिन धर्म के ठेकेदारों ने स्यवं के स्वार्थ के लिये मानव समाज को बहुत से समूह में बाटकर एक दूसरें का दुश्मन बना दिया।
हे मानव तेरे पास ज्ञान,धन,पद,ताकत जो भी है वह सभी प्रकृति अर्थात माँ पृथ्वी की देन है,विश्व में कोई भी धर्माधीश,ज्ञानी,वैज्ञानिक ,नेता,व्यापारी अन्य व्यक्ति एक बूँद जल या एक बूँद रक्त या एक छोटा सा पेड या भोजन का एक कण पैदा नहीं कर सकता,न हीं एक सेकन्ड के लिये प्राण वायु बिना जीवित नहीं कर सकता है, तो फिर किस बात का अंह पाल रहा है। हे मानव जब तूँ कुछ पैदा नहीं कर सकता है ,तो तुझे झीनने का कोई अधिकार नहीं है। जब तु एक जीव को पुनर्जीवित नहीं कर सकता है, तो तुझे जीवों को मारने का कोई अधिकार नहीं है।
हे मानव! सर्वप्रथम स्यवं से प्रेम कर ,परिवार से प्रेम कर, पडोस से प्रेम कर,समाज से प्रेम कर, अपने ग्राम या शहर से प्रेम कर, अपने राज्य व देश से प्रेम कर ,विश्व से प्रेम कर एवं पृथ्वी की समस्त चीजो से प्रेम कर… इस प्रकार धीरे धीरे प्रेम के सागर में गोता लगाये जा, एक दिन सारी दुनिया प्रेम हो जायेगी। जिसके परिणाम स्वरुप ईश्वर, खुदा,प्रभु व परम पिता, भगवान जिसको हम विभिन्न नामो से पुकारते है उसकी कृपा सभी के उपर अवश्य बरसेगी।
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